छोटू दादा / शफीक नाटिका – छोटे कद से भी आसमा को छुआ जा सकता है l - Ashish Sharma

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Saturday, June 4, 2022

छोटू दादा / शफीक नाटिका – छोटे कद से भी आसमा को छुआ जा सकता है l

छोटू दादा / शफीक नाटिका – छोटे कद से भी आसमा को छुआ जा सकता है l  By Ashish Sharma

शारीरिक विकाश आसमा को छूने से नहीं रोक सकती l पहचान बनाने के लिए शारीरिक विकास से ज्यादा मन के विकास की जरूरत होती है l जहाँ कुछ लोग अपनी कमजोरी ओर समाज के डर से सिमट जाते है l उन्ही में से कुछ सफल होकर उसी समाज में , उन लोगो के बिच अपनी एक नई पहचान बना लेते है l

यह कहानी एक ऐसे ही व्येक्ति, यूट्युबर, कॉमेडियन, एक्टर शफीक नाटिका उर्फ़ छोटू दादा की है l जिनके कामेडी के हम सब दीवाने है l जो आज छोटू दादा के नाम से जाने जाते है l उनका जन्म 25 नमम्बर 1991 को को महाराष्ट्र के मलेगावं में हुआ था l उनके दो बहने ओर चार भाई है l उनकी कम हाइट होने के कारण लोग उनका मजाक उड़ाते थे l उनकी लम्बाई सिर्फ 3 फिट थी l उनके घर के हालात ठीक नही था l इसी कारण वे सिर्फ 10वी कक्षा तक ही पढाई कर पाये l
उन्होंने एक्टिंग की शरुआत 2006 में किया l उन्हें एक्टिंग का कोई शोक नही था l एक दिन अपने दोस्त के साथ पार्टी करने गए थे ओर वहां शूटिंग चल रही थी l उस शूटिंग के कमरामैन असीम आजम छोटू दादा को जानते थे l उन्ही ने छोटू दादा की मुलाकात आसिफ अलबेला से कराया l मुलाकात के बाद आसिफ अलबेला ने छोटू दादा को एक छोटे सा रोल भी औफ़र किया l

शुरुआत में छोटू दादा ने टेलीविजन में कामेडी शो से अपनी शुरुआत किया लेकिन इसमें उनको ज्यादा पहचान नही मिल पाई l उसके बाद वे टेलीविजन से हट के युट्यूब पर आ गए l उन्होंने कई प्रोडक्शन कंपनी के साथ काम किया l  उनकी विडियो लोगो को काफी पसंद आई l उन्ही में से एक “छोटू के गोलगप्पे” युट्यूब पर सबसे ज्यादा देखे जाना वाली वीडियो है l जिसने एक गिनीज वल्ड रिकार्ड बनाया l उनका खुद का कोई युट्यूब चेनल नही है l वे दुसरो के प्रोडक्शन हॉउस में काम करते है ओर महीने का लगभग 3-4 लाख कमाते है l आज उनकी कुल सम्पत्ति लगभग 2 कड़ोर के आस-पास है l

आज छोटू दादा की एक अलग ही पहचान है l उन्होंने कभी भी अपने छोटे कद को अपनी कमजोरी नही समझा बल्कि अपने हुनर से आज सबके दिलो पर राज करते है उन्होंने कोरोना काल में 1 कड़ोर का योगदान दिया था l अकसर लोगो को उनकी मानसिकता ओर शारीरिक विकास उसे आगे बदने रोकती है पर जो इन हालातों से लड़ जाता है, उसे कामयाबी मिल जाती है l अपने आप को परिवर्तनशील बनाना पड़ता है जो की एक तप है l जो इस तपश्या को कर लेता है उसकी वही कमजोरी उसकी ताकत बन जाती है l कहते है न सोने की परख जोहरी को होती है बस हमे उस जोहरी तक पहुचना होता है जो सिर्फ निरंतर प्रयास से ही संभव है l

अगर छोटू दादा ने भी अपनी कद को अपनी कमजोरी बनाया होता तो आज उन्हें ये पहचान नही मिल पाती l उन्होंने अपनी कमजोरी को अपनी ताकत बनाया जिसके कारण आज उन्हें ये मुकाम हासिल हुआ है जो लोग उनके कद का मजाक उड़ाते थे आज छोटू दादा उन सब के लिए प्रेरणा का कारण है l     

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